खंड-क (अपठित गद्यांश)
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
महँगाई या मूल्य वृद्धि से आज समस्त विश्व त्रस्त है। भारत बढ़ती महँगाई की चपेट में बुरी तरह से जकड़ा हुआ है। जीवनोपयोगी वस्तुओं के
दाम दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं, जिससे जन साधारण को अत्यन्त कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। महंगाई से देश के आर्थिक ढाँचे पर
अत्यधिक दबाव पड़ रहा है। महँगाई के निर्मम चरण अनवरत रूप से अग्रसर हैं. पता नहीं वे कब, कहाँ रुकेंगे? आज कोई भी वस्तु बाज़ार में
सस्ते दामों पर उपलब्ध नहीं है। समाज का प्रत्येक वर्ग महँगाई की मार को अनाहूत अतिथि की तरह सहन कर रहा है, इसका सर्वग्राही प्रभाव
जीवन के प्रत्येक क्षेत्र पर पड़ रहा है। सरकारी योजनाओं पर अत्यधिक खर्च हो रहा है। अपने स्वार्थ के लिए लोगों में धार्मिक, सामाजिक तथा
नैतिक मान्यताएँ पीछे छूट जाती है और भ्रष्टाचार का बोलबाला हो जाता है। अर्थशास्त्र की मान्यता है कि यदि किसी वस्तु की माँग उत्पादन से
अधिक हो, तो मूल्यों में स्वाभाविक रूप से वृद्धि हो जाती है।
1. विश्व की सबसे बड़ी समस्या क्या है?
2. महँगाई से देश की आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?
3. स्वार्थका लोगों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
4. अर्थशास्त्र की मान्यता क्या है?
5. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
6 माँग का विपरीत शब्द लिखिए।
(2)
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खंड-ख (व्याकरण)
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1 )
महँगाई या मूल्य वृद्धि विश्व की सबसे बड़ी समस्या है
2)
महँगाई से देश की आर्थिक स्थिति पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है
3)
स्वार्थ की वजह से लोगो मेे धार्मिक, सामाजिक तथा
नैतिक मान्यताएँ पीछे छूट रही हैं
4)
अर्थशास्त्र की मान्यता है कि यदि किसी वस्तु की माँग उत्पादन से
अधिक हो, तो मूल्यों में स्वाभाविक रूप से वृद्धि हो जाती है
5)
महंगाई या मुल्य वृद्धि का देश पर प्रभाव
इस गद्यांश का उचित शीर्षक है
6) "पूर्ति" मांग का उचित विलोम शब्द है
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hope it might be helpful. please go through
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