Hindi, asked by shamandeepkaur625, 6 months ago

(खंड-क)
प्रश्न-1. निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्न के उत्तर लिखें-
10
कामना ही सारे पापों की जड़ है। गीता में भगवान ने अर्जुन से कहा कि काम,कोध तथा लोभ- ये तीन नरक के
द्वार आत्मा का नाश करने वाले हैं। अतः इन तीनों देना त्याग चाहिए। मानव को अपने उद्धार हेतु केवल भगवन्नाम
का सहारा लेना चाहिए।कारण हर संकट, मुसीबत और दुखों से बचने का यही एकमात्र उपाय है। कलियुग में तो
भगवन्नाम की आपार महिमा है।प्रभु का नाम पापी-से-पापी को भी तार देता है।गीता में भगवान ने स्वयं कहा है
कि दुराचारी-से-दुराचारी भी यदि मेरा भजन करता है तो मैं उसे सारे पापों से मुक्त कर धर्मात्मा बना देता हूँ।
प्रभु का नाम किसी भी समय जपा जा सकता है।नाम जपने में समय का कोई प्रतिबंध नहीं है।नाम जपने का लोभ
होना चाहिए। भक्ति में, भजन में, प्रभु का नाम स्मरण करने में कभी संतोष करके नहीं बैठ जाना चाहिए कि अब ओर
नहीं करेंगे। जिसे जपने का चस्का पड़ जाए, वह बिना जपे रह ही नहीं सकता है। प्रभु नाम में वह शक्ति है,जो बडी-से
-बड़ी मुसीबतों से भी जीव की रक्षा करता है।
(क) सब पापों की जड़ क्या है?
(ख) 'भगवन्नाम' और 'संतोष' में संधि-विच्छेद करें।
(ग) भगवान के नाम-स्मरण की महिमा किस युग में सबसे अधिक है ओर इससे क्या लाभ है?
• (घ) प्रभु के नाम-स्मरण में क्या शक्ति है औ प्रभु का नाम स्मरण किस समय करना चाहिए?
(ड) गीता मे श्रीकृष्ण ने दुराचारी के विषय में क्या और क्या कहा हैं?
(च) इस गद्यांश में किसके बारे में चर्चा की गई है और इसका उचित शीर्षक बताइए।​

Answers

Answered by brijeshsumal5
0

kamna hi Sare papo ke jad ha

Answered by vanshbasolta
0

Answer:

ans

Explanation:

eecffffddddcgreeeeeeeer

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