(ख) 'एक फूल की चाह' शीर्षक कविता के आधार पर मंदिर के सौंदर्य, वातावरण तथा वहाँ उपस्थित
व्यक्तियों की दूषित मानसिकता पर प्रकाश डालिए।
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muje nahi pata
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thank mee and supprt me
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मंदिर बहुत ही विशाल था जो एक पर्वत की चोटी पर स्थित था उसके शिखर पर कलश के आकार के कंगूरे थे जिन पर सूर्य की किरणें पड़ती थी मंदिर में धूप दीप का वातावरण व्याप्त था अर्थात मंदिर में आंगन में धूप दीप की सौगंध आ रही थी तथा बाहर भीतर एक उत्सव की धारा मुखरित हो रही थी वह यह है कि मंदिर में उत्सव जैसा माहौल था तथा धूप दीप उसकी शोभा को बढ़ा रहे थे मंदिर में एकत्रित भक्तों का समूह अत्यंत मधुर कंठ से भक्ति भाव के साथ प्रसन्न होकर पति तारिणी मतलब पति तो का आधार करने वाली पाप हार ने यह कहकर देवी मां की जय जयकार कर रहे थे . जैसे ही सुखिया के पिता मुख्य द्वार तक पहुंचे वहीं पता नहीं कहां से लोगों का स्वर सुनाई पड़ा "यह मंदिर में कैसे आ गया इसे पकड़ो, कहीं यह भाग ना जाए देखो, देखो यह भले मानुष को ज़रा स्वच्छ वस्त्र पहने हुए " यह कि उन दिनों में कुछ जातियों को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी उन्हें अत्यंत निम्न श्रेणी का माना जाता था तथा उन में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को अछूत कहकर तिरस्कृत एवं अपमानित किया जाता था