Hindi, asked by anchal2244, 9 months ago

(ख) गुरुगोबिन्दसिंहः कदा, कुत्र च अजायत् ?​

Answers

Answered by Nishthanegi
0

Answer:

गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढि गढि काढैं खोट।

अंतर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट।।

।। हिन्दी मे इसके अर्थ ।।

संसारी जीवों को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करते हुए शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं- गुरु कुम्हार है और शिष्य मिट्टी के कच्चे घडे के समान है।

जिस तरह घडे को सुंदर बनाने के लिए अंदर हाथ डालकर बाहर से थाप मारता है ठीक उसी प्रकार शिष्य को कठोर अनुशासन में रखकर अंतर से प्रेम भावना रखते हुए शिष्य की बुराईयो कों दूर करके संसार में सम्माननीय बनाता है।

Attachments:
Similar questions