(ख) गद्यांश में आए व्यष्टि शब्द से लेखक का आशय है-
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(ख) गद्यांश में आए व्यष्टि शब्द से लेखक का आशय है-
गद्यांश इस प्रकार है :
लोगों को यह कहते सुना जाता है कि एक और एक दो होते हैं, परंतु एक लोकोक्ति है ‘एक और एक ग्यारह इस कथन का अभिप्राय है कि एकता में शक्ति होती है। जब दो व्यक्ति एक साथ मिलकर प्रयास करते हैं तो उनकी शक्ति कई गुनी हो जाती है। मनुष्य सामाजिक प्राणी है। समाज अलग-अलग इकाइयों का समूहबद्ध् रूप है, जिसमें हर इकाई समाज को शक्तिशाली बनाती है। व्यष्टि रूप में एक व्यक्ति का कोई महत्त्व नहीं, परंतु समष्टि रूप में वह समाज की एक इकाई है। बाढ़ से बचने वेफ लिए जब एक अंधे और लंगड़े में सहयोग हुआ तो अंधे को लंगड़े की आँखें तथा लंगड़े को अंधे की टाँगे मिल गईं और दोनों बच गए। एकता में बड़ी शक्ति है। जो समाज एकता वेफ सूत्रा में बँध नहीं रहता, उसका पतन अवश्यभावी है। भारत की परतंत्राता इसी पूफट का परिणाम थी। जब भारतवासियों ने मिलकर आज़ादी वेफ लिए संघर्ष किया तो अंग्रेजों को यहाँ से भागना पड़ा। गणित में शून्य वेफ प्रभाव से अंक दस गुने हो जाते हैं। अतः समाज का हर व्यक्ति सामूहिक रूप से समाज की रीढ़ होता है।
(ख) गद्यांश में आए व्यष्टि शब्द से लेखक का आशय है-
उत्तर : गद्यांश में आए व्यष्टि शब्द से लेखक का आशय व्यक्ति है |
व्यष्टि का अर्थ होता है व्यक्ति या एकल या व्यक्तिगत या निजी |