Hindi, asked by Krishnkushwaha, 11 months ago

खो गया बच्चपन essay​

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Answered by Abhikagyan
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Explanation:

किसी गीतकार द्वारा लिखी गई ये पंक्तियाँ बचपन की महत्ता को दर्शाती हैं। बचपन एक ऐसी अवस्था होती है, जहाँ जाति- धर्म- क्षेत्र कोई मायने नहीं रखते। बच्चे ही राष्ट्र की आत्मा हैं और इन्हीं पर अतीत को सहेज कर रखने की जिम्मेदारी भी है। बच्चों में ही राष्ट्र का वर्तमान रूख करवटें लेता है तो इन्हीं में भविष्य के अदृश्य बीज बोकर राष्ट्र को पल्लवित-पुष्पित किया जा सकता है।

दुर्भाग्यवश अपने देश में इन्हीं बच्चों के शोषण की घटनाएँ नित्य-प्रतिदिन की बात हो गई हैं और इसे हम नंगी आँखों से देखते हुए भी झुठलाना चाहते हैं- फिर चाहे वह निठारी कांड हो, स्कूलों में अध्यापकों द्वारा बच्चों को मारना-पीटना हो, बच्चियों का यौन शोषण हो या अनुसूचित जाति व जनजाति से जुड़े बच्चों का स्कूल में जातिगत शोषण हो। हाल ही में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की ओर से नई दिल्ली में आयोजित प्रतियोगिता के दौरान कई बच्चों ने बच्चों को पकड़ने वाले दैत्य, बच्चे खाने वाली चुड़ैल और बच्चे चुराने वाली औरत इत्यादि को अपने कार्टून एवं पेंटिंग्स का आधार बनाया।

यह दर्शाता है कि बच्चों के मनोमस्तिष्क पर किस प्रकार उनके साथ हुए दुर्व्यवहार दर्ज हैं, और उन्हें भय में खौफनाक यादों के साथ जीने को मजबूर कर रहे हैं।

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