Hindi, asked by rawatshruti064, 3 months ago

(ख) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।
ग) इस उपालभ (शिकायत) के पीछे कौन-सी पौराणिक कथा है?
नालासे खाली हाथ लौटते समय सदामा मार्ग में क्या-क्या सोचते​

Answers

Answered by muktesh57
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Answer:

(ख) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।

उत्तर(ख):- अपनी पत्नी द्वारा दिए गए चावल संकोचवश सुदामा श्रीकृष्ण को भेंट स्वरूप नहीं दे पा रहे हैं। परन्तु श्रीकृष्ण सुदामा पर दोषारोपण करते हुए इसे चोरी कहते हैं और कहते हैं कि चोरी में तो तुम पहले से ही निपुण हो।

(ग ) इस उपालभ (शिकायत) के पीछे कौन-सी पौराणिक कथा है?

उत्तर(ग):- इस उपालंभ के पीछे एक पौरोणिक कथा है। जब श्रीकृष्ण और सुदामा आश्रम में अपनी-अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। उस समय एक दिन वे जंगल में लकड़ियाँ एकत्र करने जाते हैं। गुरूमाता ने उन्हें रास्ते में खाने के लिए चने दिए थे। सुदामा श्रीकृष्ण को बिना बताए चोरी से चने खा लेते हैं। उसी चोरी की तुलना करते हुए श्रीकृष्ण सुदामा को दोष देते हैं।

प्रश्न :- द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सदामा मार्ग में क्या-क्या सोचते?

उत्तर :- द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा का मन बहुत दुखी था। वे कृष्ण द्वारा अपने प्रति किए गए व्यवहार के बारे में सोच रहे थे कि जब वे कृष्ण के पास पहुँचे तो कृष्ण ने आनन्द पूर्वक उनका आतिथ्य सत्कार किया था।

Answered by rsy198422
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Explanation:

जब श्रीकृष्ण कौ सुदामा अपनी पत्नी द्वारा भेजी गई चावलों की पोटली

अपनी पत्नी द्वारा दिए गए चावल संकोचवश सुदामा श्रीकृष्ण को भेंट स्वरूप नहीं दे पा रहे हैं। परन्तु श्रीकृष्ण सुदामा पर दोषारोपण करते हुए इसे चोरी कहते हैं और कहते हैं कि चोरी में तो तुम पहले से ही निपुण हो।

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