ख) जीवन में जय-पराजय का क्रम निरंतर इसलिए चलता रहता है ,क्योंकि (i) दोनों की स्थिति सदा नहीं रहती। (ii) जीवन में कभी पराजय का अंधेरा छा जाता है। (ii) कभी विजय का आनंद जीवन को मुग्ध कर देता है। (iv) दुख का चक्र जीवन में सदा चलता ही रहता है।
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जीवन में कभी पराजय का अंधेरा छा जाता है।
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