(ख) “जग में बैरी कोई नहीं, जो मन सीतल होए। इन पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।
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संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि अगर अपने मन में शीतलता हो तो इस संसार में कोई बैरी नहीं प्रतीत होता। अगर आदमी अपना अहंकार छोड़ दे तो उस पर हर कोई दया करने को तैयार हो जाता है।
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