(ख) जहीहि भीतिं भज भज शक्तिं।
विधेहि राष्ट्र तथाअनुरक्तिम् ।
कुरु कुरु सततं ध्येय - स्मरणम्।
सदैव पुरतो निधेहि चरणम् ।।
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(ख) जहीहि भीतिं भज भज शक्तिं।
विधेहि राष्ट्र तथाअनुरक्तिम् ।
कुरु कुरु सततं ध्येय - स्मरणम्।
सदैव पुरतो निधेहि चरणम् ।।
इस श्लोक का अर्थ है कि हमें डर को छोड़ देना चाहिए और ताकत को हमेशा याद रखना चाहिए | उसी प्रकार अपने देश से प्रेम करना चाहिए उसकी रक्षा करनी चाहिए | साथ में , अपने उद्देश्य और लक्ष्य को याद रखना चाहिए और सदैव आगे ही बढ़ना चाहिए , आगे की और कदम रखना चाहिए |
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hame apne rashtra se kya karna chiyaye sanskrit min batana
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