ख की पिछली रजनी बीच,
विकसता सुख का नवल प्रभात;
एक परदा यह झीना नील,
छिपाए है जिसमें सुख गात।
जिसे तुम समझे हो अभिशाप,
जगत की ज्वालाओं का मूल
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jydiombs
Explanation:
iugffgggyuuhgufj
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