Hindi, asked by gs8904972, 12 hours ago

ख की पिछली रजनी बीच,
विकसता सुख का नवल प्रभात;
एक परदा यह झीना नील,
छिपाए है जिसमें सुख गात।
जिसे तुम समझे हो अभिशाप,
जगत की ज्वालाओं का मूल​

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Answered by thakurmeenakshi980
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Answer:

jydiombs

Explanation:

iugffgggyuuhgufj

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