(ख) किसी के दु:ख का प्रदर्शन करके कार्यक्रम को रोचक बनाना कहाँ तक उचित है?
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कवि का कहना है कि मीडिया के लोग किसी-न-किसी तरह से दूसरे के दुख को भी व्यापार का माध्यम बना लेते हैं। व्याख्या-इस काव्यांश में कवि कहता है कि मीडिया के लोग अपाहिज से बेतुके सवाल करते हैं। ... मीडिया वाले कहते हैं कि हमारा लक्ष्य अपने कार्यक्रम को रोचक बनाना है और इसके लिए हम ऐसे प्रश्न पूछेगे कि वह रोने लगेगा।
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