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कैदी और कोकिला' कविता में कवि माखनलाल चतुर्वेदी ने कोयल के माध्यम से अपने मन के किन भावों को व्यक्त किया है?
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➲ ‘कैदी और कोकिला’ पाठ में कवि माखनलाल चतुर्वेदी ने कोयल के माध्यम से यह कहने का प्रयत्न किया है कि यह समय मधुर गीत गाने का नहीं है, बल्कि मुक्ति के गीत गाने का है। जेल के नीरस जीवन में कोयल एक आशा का संचार करती है। उसके स्वर में क्रांतिकारियों के लिये उत्साह की भावना पैदा होती है।
कवि को पहले तो कोयल की आवाज बुरी लगती थी, लेकिन बाद में कवि को ऐसा प्रतीत होने लगा कि कोयल भी अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर किए जा रहे अत्याचार से भली-भांति परिचित है। इसी कारण वह अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय क्रांतिकारियों के मन में विद्रोह की भावना जगाने के लिए रात में अपने स्वर में कूक रही है।
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