ख) कच्पः
ग) लम्बान कर्म दृष्टया पोराः किम् अवदन् ?
विम्भव्य किम अव
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कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ अर्थ: कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, कर्म के फलों में कभी नहीं... ... कर्तव्य-कर्म करने में ही तेरा अधिकार है फलों में कभी नहीं।
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