ख) कवि सुमित्रानंदन पंत ने पावस ऋतु के सौंदर्य चित्रण के लिए पर्वत प्रदेश को ही क्यों चुना?
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यहाँ पर पर्वत श्रृंखला की तुलना करघनी (कमर में पहनने वाला गहना) से की गई है। विशाल पर्वत अपने सैंकड़ों फूल जैसी आँखों को फाड़कर नीचे पानी में जैसे अपना ही अक्स निहार रहा हो। साधारण भाषा में कहा जाये तो पानी में पहाड़ का प्रतिबिम्ब बन रहा है। पहाड़ के चरणों में जलराशि किसी विशाल आईने की तरह फैली हुई है।
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ख) कवि सुमित्रानंदन पंत ने पावस ऋतु के सौंदर्य चित्रण के लिए पर्वत प्रदेश को ही क्यों चुना ?
कवि सुमित्रानंदन पंत ने पावस ऋतु के सौंदर्य चित्रण के लिए पर्वत प्रदेश को ही इसलिए चुना क्योंकि कवि सुमित्रानंदन पंत पहाड़ों के सौंदर्य से भलीभांति परिचित थे।
कवि सुमित्रानंदन पंत प्रकृति के कवि माने जाते हैं। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से प्रकृति के विभिन्न तत्वों का सुंदर चित्रण किया है। उनकी कविता में प्रकृति का वर्णन इस प्रकार मिलता है कि उनकी कविता को पढ़कर ऐसा प्रतीत होता है कि प्रकृति सजीव हो उठी है।
कवि सुमित्रानंदन पंत ने 'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता में ऋतु के सौंदर्य चित्रण के लिए पर्वत प्रदेश को इसलिए चुना क्योंकि वह पर्वत प्रदेश के सौंदर्य से भलीभांति परिचित थे। पंत जी का जन्म स्वयं पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में हुआ था, इसलिए उन्होंने बचपन से पर्वतों के प्राकृतिक सौंदर्य को नजदीकी से देखा है। इसीलिए इस कविता में उन्होंने ऋतु के सौंदर्य चित्रण के लिए पर्वत प्रदेश को ही चुना, क्योंकि वह पर्वत प्रदेश के सौंदर्य का चित्रण बेहद सुंदरता से कर सकते थे।
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