Hindi, asked by khushisharma49, 1 month ago

."खा-खा कर कुछ पाएगा नहीं" में कौन सा भाव है? *

सिर्फ खाना ही जीवन नहीं
सुख के उपयोग से परमात्मा नहीं मिलते
धन दौलत एकत्र करने का कोई फायदा नहीं
खाते रहने से पेट नहीं भरता​

Answers

Answered by wwwbhardwajkeshav735
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Answer:

खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं, न खाकर बनेगा अंहकारी। कवयित्री कहती है कि मनुष्य को भोग विलास में पड़कर कुछ भी प्राप्त होने वाला नहीं है। प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री मनुष्य को ईश्वर प्राप्ति के लिए मध्यम मार्ग अपनाने को कह रही है

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