खा -खाकर कुछ पाएगा नहीं, न खाकर बनेगा अहंकारी ।सम खा तभी होगा समभावी,खुलेगी सांँकल बंद द्वार की।।। प्रश्न 1:- "खा- खाकर" कुछ क्यों नहीं प्राप्त होता? (2) प्रश्न 2:- "खुलेगी सांकल बंद द्वार की", का अर्थ स्पष्ट कीजिए। (2) प्रश्न 3:- समभावी कौन हो सकता है? (1)
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don't know...................
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