Hindi, asked by sspcbalotra, 5 months ago

खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं,
न खाकर बनेगा अहंकारी।
सम खा तभी होगा समभावी.
खुलेगी साँकल बंद द्वार की।
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आई सीधी राह से, गई न सीधी राह।
सुषुम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह!
जेब टटोली, कौड़ी न पाई
माझी को ढूँ, क्या उतराई?​

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Answered by 1234561962
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Answer:

Amazing poetry. just loved it!!!

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