खा-खा कर कुरूपारगा नहीं,
नखाफर बजेगा ग्राहकारी,
पम खा तभी होगा समाजाती,
खुलेगी सावल जंह द्वार की।
उपर्युक्त काव्याशा का सावन स्पोन्दरी स्पष्ट कीजिए
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konsi book ka hai batao to
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just wait for a minute..
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