Hindi, asked by shreyanshv657, 8 days ago

खाला जान को पंचायत बुलाने की आवश्यकता क्यों पड़ी थी?​

Answers

Answered by hk5998526
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Answer:

जुम्मन शेख और अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भी साझा था। एक को दूसरे पर अटल विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गये थे, और अलगू जब कभी बाहर जाते, तो जुम्मन पर अपना घर छोड़ देते थे। उनमें न खान-पान का व्यवहार था, न धर्म का नाता, केवल विचार मिलते थे। मित्रता का मूल मंत्र भी यही है।

जुम्मन शेख की एक बूढ़ी खाला (मौसी) थी। उसके पास कुछ थोड़ी-सी मिलकियत थी, परन्तु उसके निकट संबंधियों में को न था। जुम्मन ने लम्बे चौडे़ वादे करके यह मिलकियत अपने नाम लिखवा ली थी। जब तक दान-पत्र की रजिस्ट्री न हुई थी, तब तक खलाजान का खूब आदर सत्कार किया गया। उन्हें खूब स्वादिष्ट पदार्थ खिलाये गये। हलवे-पुलाव की वर्षा सी की गयी, पर रजिस्ट्री की मुहर ने इन खतिरदारियों पर भी मानो मुहर लगा दी। जुम्मन की पत्नी करीमन रोटियों के साथ कड़वी बातों के कुछ तेज-तीखे ताने भी देने लगी। जुम्मन शेख भी निठुर हो गये। अब बेचारी खालाजान को प्राय रोज ही ऐसी बातें सुननी पड़ती थी। बुढ़िया न जाने कब तक जीयेगी। दो-तीन बीधे ऊसर क्या दे दिया, मानो मोल ले लिया है। कुछ दिन खालाजान ने सुना और सहा, पर जब न सहा गया, तब जुम्मन से शिकायत की। जुम्मन ने गृहस्वामिनी के प्रबन्ध में दखल देना उचित न समझा।

Answered by 2020savitdevi
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Explanation:

खाला जान को पंचायत बुलाने की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि जुम्मन ने लंबे चौड़े वादे करके खाला जान से उनकी मिल्कियत अपने नाम करवा ली थी। जब तक दानपात्र की रेजिस्त्री न हुई थी, तब तक उनका खूब आदर सम्मान किया गया और खूब स्वादिष्ट पदार्थ खेलिए गए परंतु जैसे ही रजिस्ट्री जुम्मन के नाम हों गई, जुम्मन निठूर हो गया और उसकी पत्नी करीमन रोटियों के साथ करवी बाते सुनती थी। कुछ दिन खाला जान में सुना और सहा, परंतु जब न सहा गया तो उन्होंने पंचायत बुलाई।

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