Hindi, asked by muskansingh19, 7 months ago

'खेल कूद का महत्व' विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर 200 से 250 शब्दों में निबंध लिखिए संकेत बिंदु भूमिका खेलकूद से लाभ समग्र व्यक्तित्व का विकास खेलकूद के आवश्यकता उप संहार​

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Answered by isharawar2674
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Answer:

प्रस्तावना:

खेल-कूद शिक्षा का अनिवार्य अंग है । अच्छी शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों का शारीरिक, मानसिक और नैतिक विकास करना है । स्वस्थ शरीर में ही प्रखर मस्तिष्क रह सकता है । यदि कोई व्यक्ति शरीर से दुर्बल हो तो उसका दिमाग तेज नहीं हो सकता है ।

बीमार शरीर में मस्तिष्क कैसे स्वस्थ रह सकता है ? शिक्षा में खेल-कूद उतने ही आवश्यक हैं जितना पढ़ाई के लिए पुस्तकें । पुस्तकों से मन और आत्मा का विकास होता है, जबकि खेलकूद से शरीर स्वरथ और सबल बनता है ।

खेलकूद का महत्त्व:

खेलकूद से विद्यार्थियों में नेतृत्व, आइघ पालन, समान लक्ष्य के लिए मिलकर काम करना, खेल की भावना, साहस, सहनशीलता जैसे आवश्यक सद्‌गुणों का विकास होता है । साथ ही शरीर की अच्छी कसरत भी हो जाती है । उपर्युक्त गुणों से सम्पन्न, रचरथ शरीर के बालक ही आगे चलकर देश के योग्य नागरिक बन सकते हैं ।

देश-रक्षा के लिए रोना को ऐसे ही शक्तिशाली युवाओं की आवश्यकता होती है । भारत जैसा विकासशील देश विशाल नियमित सेना का खर्च नहीं उठा सकता । हमारे विद्यार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने शरीर को सुदृढ़ बनायें, ताकि आवश्यकता पड़ने पर युद्ध के दौरान वे सैनिकों के कंधा-से-कंधा मिलाकर देश-रक्षा में अपना योगदान दे सकें ।

स्वास्थ्य ही सच्ची सम्पत्ति है:

‘स्वास्थ्य ही धन है’ एक पुरानी कहावत है, जो आज भी उतनी ही सच है । अनेक प्रकार के खेलकूदों के द्वारा विद्यार्थी अपने स्वास्थ और शरीर का निर्माण कर सकते हैं । इनके द्वारा स्वच्छ वायु और खुले वातावरण में अच्छी कसरत हो जाती है ।

सारे दिन पढ़ाई या काम करते-करते व्यक्ति खिन्न हो जाता है । खेलों के द्वारा यह खिन्नता और उदासी बड़ी आसानी से दूर हो जाती है और मन प्रफुल्लित हो जाता है । भारत को ऐसे किताबी कीडों की आवश्यकता नहीं है, जिनके गाल पिचके और आंखें धंसी हो ।

अच्छे विद्यार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वे सभी बातों पर समुचित ध्यान दे । उसे पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए । लेकिन खेलकूद तथा अन्य गतिविधियों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए । उसे इस कहावत का पालन करना चाहिए कि ”काम के समय काम और खेल के समय खेल । सुख और प्रसन्नता का यही मार्ग है ।”खेलों में अनुशासन और खेल की सही भावना सीखते हैं । सच्चा खिलाड़ी हार और जीत से प्रभावित नहीं होता । वह खेलने के लिए खेल खेलता है । खेलो के माध्यम से ही हर्ष और शोक की बिना परवाह किए हम जीवन की राह पर चलना सीखते हैं ।

खेलों के द्वारा हमे हंसते-हंसते असफलता का सामना करना आ जाता है तथा सफलता से फूल नहीं उठते । खेलों के द्वारा ही हम जीवन की सही कला सीखते हैं, क्योंकि हम भली-भाँति जान लेते है कि जीवन संग्राम में वही विजयी हो सकता है जो धैर्यपूर्वक सतत प्रत्यनशील रहे ।

खेलों से हमारे चरित्र का निर्माण होता है । इससे हम में नेतृत्व कला के गुणों का विकास होता है । खिलाड़ी अपने प्यार, सद्‌भावना और ईमानदारी की भावना से टीम का कैप्टन सदस्यों का मन जीत लेता है । खिलाडियों को अपने कैप्टन की आज्ञा पालन करने की आदत भी पड़ जाती है ।

इस तरह खेलकूद के द्वारा श्रेष्ठ नागरिक तैयार होते है । इसके अलावा, विद्यार्थियों को नीरस पढ़ाई से इनके द्वारा छुटकारा मिलता है और उनका उत्साहवर्द्धन होता है । खेलों द्वारा खाली समय का सर्वोत्तम उपयोग होता है तथा किया जा सकता है ।

इनसे युवाओं की फालतू शक्ति का सही उपयोग यदि इस्ने खेलों में नहीं लगाया जाता, तो शरारटों और अनुशासनहीनता को बढ़ावा मिलता है । खाली दिमाग शैतान की कार्यशाला होता है । पढ़ाई के बाद के खाली समय में विद्यार्थियों को व्यरत्त रखने का यह बड़ा उपयोगी साधने है ।

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