खुल्ला सँसार,खुल्ला परिवेशमा नै मानिसको प्रतिभा,क्षमता र मेहनतले फक्रने,फुलने र फैलने मौका पाउँछ। भाव विस्तार गर।
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बड़ा सत्य है कि जीवन कहीं ठहरता नहीं है और सब कुछ कभी खत्म नहीं होता। जबकि कोरोना वायरस जैसे संकटों से जीवन में कभी-कभी ऐसे क्षण आते हैं, जब लगता है मानो सब खत्म हो रहा है। डॉ. फ्रैंकल यह गहराई से जान सके कि जीवन कितना भी निरर्थक क्यों न लगे, उसमें अंतर्निहित अर्थ को खोज कर मनुष्य सारे कष्टों को सहन कर बाहर निकल सकता है। विपरीत परिस्थितियों में यह जानना महत्वपूर्ण नहीं है कि हमें जीवन से क्या अपेक्षा है, बल्कि यह जानना महत्वपूर्ण है कि इस समय जीवन को हमसे क्या अपेक्षा है। जो समस्या हमें दी गई है, उसका सही जवाब पाने की जिम्मेदारी हमारी ही है। मानवता ने बड़े-बड़े जीवन अस्तित्व के संकटों के बीच उजालों को खोजा है, यही मानव इतिहास की विलक्षणता भी है।
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