खुले न खोले नयन, कमल फूले, खग बोले,
आकुल अलि-कुल उड़े, लता-तरु-पल्लव डोले।
रुचिर रंग में रंगी उमगती उषा आई,
हँसी दिग्वधू, लसी गगन में ललित लुनाई।
दूब लहलही हुई पहन मोती की माला,
तिमिर तिरोहित हुजा, फैलने लगा उजाला।
पद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
1. यहाँ किसके खोलने के बारे में बात हो रही है?
2. यहाँ हँसी की तुलना किससे की गयी है ?
3. उषा शब्द के पर्यायवाची लिखिए।
4 यह पद्यांश किस विषय पर है?
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