'खेलकूद का जीवन में महत्व' विषय पर एक संक्षिप्त अनुच्छेद लिखिए। (लगभग 50 से 70
शब्दों में)
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Mahatva In Hindi
“अपने विगत जीवन पर दृष्टि डालते हुए मुझे सोचना पड़ता है कि खेल–कूद के प्रति लापरवाही नहीं दिखानी | चाहिए थी। ऐसा करके मैंने शायद असमय प्रौढ़ता की भावना विकसित कर ली।”
–सुभाषचन्द्र बोस
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – Shiksha Mein Khelakood Ka Sthaan Nibandh
रूपरेखा–
जीवन में स्वास्थ्य का महत्त्व,
शिक्षा और क्रीडा का सम्बन्ध,
शिक्षा में क्रीडा एवं व्यायाम का महत्त्व–
(क) शारीरिक विकास,
(ख) मानसिक विकास,
(ग) नैतिक विकास,
(घ) आध्यात्मिक विकास,
(ङ) शिक्षा–प्राप्ति में रुचि,
उपसंहार।
जीवन में स्वास्थ्य का महत्त्व–
स्वास्थ्य जीवन की आधारशिला है। स्वस्थ मनुष्य ही अपने जीवन सम्बन्धी कार्यों को भली–भाँति पूर्ण कर सकता है। हमारे देश में धर्म का साधन शरीर को ही माना गया है। अतः कहा गया है–’शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्’।
इसी प्रकार अनेक लोकोक्तियाँ भी स्वास्थ्य के सम्बन्ध में प्रचलित हो गई हैं; जैसे–’पहला सुख नीरोगी काया’, ‘एक तन्दुरुस्ती हजार नियामत है’, ‘जान है तो जहान है’ आदि। इन सभी लोकोक्तियों का अभिप्राय यही है कि मानव को सबसे पहले अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। भारतेन्दुजी ने कहा था
दूध पियो कसरत करो, नित्य जपो हरि नाम।
हिम्मत से कारज करो, पूरेंगे सब राम॥
यह स्वास्थ्य हमें व्यायाम अथवा खेल–कूद से प्राप्त होता है।
शिक्षा और क्रीडा का सम्बन्ध–
यह निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि शिक्षा और क्रीडा का अनिवार्य सम्बन्ध है। शिक्षा यदि मनुष्य का सर्वांगीण विकास करती है तो उस विकास का पहला अंग है–शारीरिक विकास। शारीरिक विकास व्यायाम और खेल–कूद के द्वारा ही सम्भव है। इसलिए खेल–कूद या क्रीडा को अनिवार्य बनाए बिना शिक्षा की प्रक्रिया का सम्पन्न हो पाना सम्भव नहीं है।