'खेलकूद का महत्व' शीर्षक विर्य पर िगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखें।
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मानव-जीवन में अनेक प्रकार की परेशानियाँ और तनाव है । लोग विभिन्न प्रकार की चिंताओं से घिरे रहते हैं । खेल-कूद हमें इन परेशानियों, तनावों एवं चिंताओं से मुक्त कर देती है । खेल-कूद को जीवन का आवश्यक अंग मानने वाले जीवन में आने वाली समस्याओं का सामना करने में सक्षम होते हैं ।
संत रामकृष्ण परमहंस का कथन है कि ईश्वर ने संसार की रचना खेल-खेल में की है । अर्थात् परमात्मा को खेल बहुत पसंद है । तो फिर परमात्मा की कृति मनुष्य खेलों से क्यों दूर रहे! खेल खेलकर ही लोग जान सकते हैं कि जीवन एक खेल है । जीवन को बहुत गंभीर और तनावयुक्त नहीं बनाना चाहिए । सभी हँसते-खेलते जिएँ तो संसार की बहुत-सी परेशानियाँ मिट जाएँ । अत: जीवन में खेल-कूद का महत्त्वपूर्ण स्थान होना चाहिए ।
खेल-कूद स्वास्थ्यवर्धक होते हैं । ये शरीर के विभिन्न अंगों के उचित संचालन में मददगार होते हैं । खेलने से शरीर का व्यायाम होता है तथा पसीने के रूप में शरीर में जमा जल बाहर निकल आता है । खेल-कूद शरीर और मन में ताजगी लाता है । इनसे मांसपेशियाँ सुगठित हो जाती हैं । मन की ऊब मिटाने और चित्त में प्रसन्नता लाने के लिए खेलों की जितनी भूमिका है उतनी शायद अन्य किसी चीज की नहीं । यही कारण है कि अलग- अलग समाज और देश में विभिन्न प्रकार के खेलों को पर्याप्त महत्त्व दिया जाता है ।
विद्यालयों तथा अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में खेल-कूद को शिक्षा का एक आवश्यक अंग माना जाता है । खेलों से संबंधित अनेक प्रकार की प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं । विद्यालयों में वार्षिक खेल समारोह होते हैं । हर दिन एक घंटी खेल की घंटी होती है । खेल-प्रशिक्षक इस घंटी में बच्चों को तरह-तरह के खेल खेलना सिखाते हैं । बच्चे उत्साहित होकर खेलते हैं तथा तनाव से मुक्त होकर पुन : पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करते हैं ।
बाल्यकाल और खेलों का गहरा नाता होता है । बच्चे खेलों के माध्यम से नई-नई बातें सीखते हैं । खेल उनका साहस और आत्म-विश्वास बढ़ाते हैं । खेलों से उनका तन सुगठित होता है । दूसरे बच्चों के साथ खेलते हुए वे आपस में स्वस्थ प्रतियोगिता करना एवं सहयोग करना सीखते हैं । उनमें धैर्य, सहिष्णुता, ईमानदारी, निष्ठा जैसे गुणों का उभार होता है । वे चुस्त एवं फुर्तीले बनते हैं । खेलों में मिली हार और जीत से वे नए-नए गुण एवं अनुभव प्राप्त करते हैं । वे हार से सबक लेते हैं और कमियों को दूर करते हैं । जीत उन्हें नए-उत्साह और प्रेरणा से भर देती है ।
खेलों के महत्त्व को देखते हुए पूरी दुनिया में विभिन्न खेलों की प्रतियोगिता का आयोजन होता है । इनमें ओलंपिक खेल सबसे बड़ी प्रतिस्पर्धा है जिसका आयोजन प्रत्येक चौथे वर्ष होता है । इनके अतिरिक्त विश्व कप क्रिकेट, विश्व कप सॉकर, विश्व कप शतरंज आदि की प्रतियोगिताएँ भी समय-समय पर होती रहती हैं । एशियाई खेल प्रत्येक चौथे वर्ष होते हैं जो एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा आयोजन है । विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन से दुनिया भर में खेलों को बढ़ावा मिलता है । लोग खेलों में अधिक रुचि लेने लगते हैं ।
ADVERTISEMENTS:
भारत में क्रिकेट, हॉकी,फुटबॉल, कबड्डी, पोलो, शतरंज, टेबल टेनिस, लॉन टेनिस, बैडमिंटन आदि खेल खेले जाते हैं । इनमें क्रिकेट सबसे लोकप्रिय है । भारत में क्रिकेट के प्रति युवाओं में बहुत आकर्षण है । लोग क्रिकेट तथा अन्य खेलों का सीधा प्रसारण देखकर आनंदित होते हैं । हर कोई अपने देश की टीम को जीतता देखना चाहता है । इस तरह खेल राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ाने में बहुत सहायक होते हैं । जब कोई खिलाड़ी खेलों में अच्छा प्रदर्शन करता है तो देश के गौरव में वृद्धि होती है ।
खेल-कूद का व्यक्तित्व के विकास में बहुत योगदान है । इनसे शारीरिक और मानसिक क्षमता में बढ़ोतरी होती है । खुले मैदानों में होने वाले खेल खेलकर व्यक्ति स्वस्थ बना रह सकता है । खुली ताजी हवा फेफड़ों में अधिक प्रवेश करती है । व्यक्ति निरोगी रहता है। उसकी झिझक मिटती है, वह समाजोपयोगी कार्यों र्में सहभागिता करता है ।
आजकल अच्छे खिलाड़ियों को बहुत सम्मान प्राप्त है । उसे धन भी प्रचुर मात्रा में मिलता है । सरकार एवं निजी संस्थाएँ उन्हें अपने यहाँ अच्छी नौकरी पर रखती हैं। समाज में उन्हें उचित आदर मिलता है ।
उपर्युक्त कारणों से खेल-कूद का महत्त्व दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है । सरकार एवं खेल-संगठन खेलों को बढ़ावा देने के लिए प्रयत्नशील हैं । बालकों, बालिकाओं तथा युवाओं को प्रतिदिन कोई न कोई खेल अवश्य खेलना चाहिए । जब देश के बच्चे और युवा स्वस्थ रहेंगे तो देश के निर्माण में बहुत सहायता मिलेगी ।