खेलन में को काको गुसैयाँ ।
हरि हारे जीते श्रीदामा, बरबस हीं कत करत रिसैयाँ |
जाति - पाँती हमतै बड़ नाहीं, नाहीं बसत तुम्हारी छैयाँ
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खेलन में को काको गुसैयाँ ।
हरि हारे जीते श्रीदामा, बरबस हीं कत करत रिसैयाँ |
जाति - पाँती हमतै बड़ नाहीं, नाहीं बसत तुम्हारी छैयाँ
सूरदासजी ने एक पद में खेल के प्रसंग का वर्णन किया है| खेल-खेल में श्री कृष्ण जी हार जाते है और श्रीमादा जीत जाते है| श्रीकृष्ण खेलना भी चाहते है और हारना भी नहीं चाहते है| तब श्रीमादा कहते है कि कृष्ण तुम खेल में गुस्सा क्यों करते हो , तुम न तो जाति में हम से बड़े हो न ही हम तुम्हारे घर में रहते है|
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