खेलन में को काको गुसयाँ।
हरि हारे जीते श्रीदामा, बरबस की कत करत रिसैयाँ।
जाति पौत हमने बड़ नाही, नाही बसत तुम्हारी छैयाँ।
अति अधिकार जनावत मोते, जाते अधिक तुम्हारी गैयाँ।।
कहांठ कर तासी के खेल, रहे बैठि जाँ-जह सब गवैयाँ ।
सूरदास प्रभु खेलन चाहत, दाउँ दियो करिनंद दुहैयाँ।
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i dont understand anything ☹️☹️☹️☹️
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