(ख)
मैया, कबहुँ बढ़ेगी चोटी ?
किती बेर मोहि दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी।।
तू जो कहति बल की बेनी ज्यौं, है है लाँबी-मोटी।।
काढ़त-गुहत न्हवावत जैहै, नागिनी-सी भुइँ लोटी।।
काचो दूध पियावति पचि-पचि, देति न माखन-रोटी।।
सूर चिरजीवौ दोउ भैया, हरि-हलधर की जोटी।।
ka bhavarth
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Answer:
कृष्ण जी मा यशोदा से पूछते है कि " आप मुझे इतना कचा दूध पिलाते हो लेकिन यह चोटी अभी भी छोटी है। आप कहते थे कि दूध पीने से मेरी चोटी लंबी हो जाएगी।"
प्रभु कृष्ण को अपने बड़े भाई बलराम जी के चोटी बहुत पसंद थे और कृष्ण को भी उनके तरह लंबी चोटी चाइए ताकि वो भी नागिन के तरह उन्हें लेहेरा सके।कृष्ण अपने मा से शिकायत भी करते है की उनकी मा उन्हें सिर्फ कच्चा दूध पिलाती और वह उन्हें माखन रोटी नहीं देती।
आखिर में सूरदास जी कृष्ण और बलराम जी के स्नेह भरे रिश्ते को चिरंजीवी रहने की कामना करते है।
मैया, कबहुँ बढ़ेगी चोटी ?
मैया, कबहुँ बढ़ेगी चोटी ?किती बेर मोहि दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी।।
काचो दूध पियावति पचि-पचि, देति न माखन-रोटी।।
सूर चिरजीवौ दोउ भैया, हरि-हलधर की जोटी।।
संदर्भ - दी गई पंक्तियां सूरदास जी लिखित कविता कोष " मैय्या कबहू बढ़ेगी चोटी " से ली गई हैं।
प्रसंग - बाल कृष्ण यशोदा मां से शिकायत करते है कि " मैया आप मुझे सिर्फ कच्चा दूध पिलाते हो इसलिए मेरी छोटी भाई बलराम जैसी बड़ी नहीं है।
व्याख्या
बाल कृष्ण प्राय: दूध पीने में आनाकानी किया करते थे इसलिए मेरा यशोदा ने उन्हें प्रलोभन दिया कि यदि कान्हा कच्चा दूध पिएंगे तो उनकी छोटी दाऊ बलराम जितनी लंबी हो जाएगी।
माता की बात सुनकर कान्हा नियमित रूप से दूध पीने लगे परन्तु अधिक समय बीतने पर वे मैय्या से शिकायत करने लगे कि मैय्या तो मुझे केवल कच्चा दूध पिलाती है, माखन रोटी नहीं खिलाती इसलिए मेरी चोटी दाऊ की तरह नहीं बढ़ती। वे मां से पूछते है कि मेरी चोटी कब बढ़ेगी?
ऐसा कहकर कृष्ण यशोदा मां से रूठ जाते है।
सूरदास जी दोनों भाईयो के रिश्ते के चिरंजीवी होने की कामना करते हैं।