Chemistry, asked by ranjeetyadavskb123, 1 month ago

ख) निम्न पर टिप्पणी लिखिए-
(i) अपोहन
(iii) टिण्डल प्रभाव
(ii) स्वर्ण-संख्या
(iv) पेप्टीकरण।​

Answers

Answered by shivangi7296
10

Answer:

टिण्डल प्रभाव

किसी कोलायडी विलयन में उपस्थित कणों द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन होने की परिघटना टिण्डल प्रभाव (Tyndall effect) कहलाती है। यह प्रभाव छोटे-छोटे निलम्बित कणों वाले विलियन द्वारा भी देखा जा सकता है। टिण्डल प्रभाव को 'टिंडल प्रकीर्णन' (Tyndall scattering) भी कहा जाता है। इस प्रभाव का नाम १९वीं शताब्दी के भौतिकशास्त्री जॉन टिण्डल के नाम पर पड़ा है। टिण्डल प्रकीर्णन, इस दृष्टि से रैले प्रकीर्णन (Rayleigh scattering), जैसा ही है कि प्रकीर्ण प्रकाश की तीव्रता प्रकाश के आवृत्ति के चतुर्थ घात के समानुपाती होता है। नीला प्रकाश, लाल प्रकाश की तुलना में बहुत अधिक प्रकीर्ण होता है क्योंकि नीले प्रकाश की आवृत्ति अधिक होती है।

Answered by Mithalesh1602398
0

Answer:

(i) अपोहन - यह एक वेदांत दर्शन की प्रमुख सिद्धांत है जिसमें ब्रह्म की सत्यता को सिद्ध करने के लिए सभी वस्तुएं अपने निज स्वभाव से अलग कर दी जाती हैं।

(ii) स्वर्ण-संख्या - यह एक प्राचीन भारतीय गणितीय शास्त्र है जिसमें संख्याओं को स्वर्णों के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।

(iii) टिण्डल प्रभाव - यह एक तरल पदार्थ के अंदर अलग-अलग द्रवित तत्वों के समान नहीं मिलने की वजह से होता है। इस प्रभाव के कारण, अंदर उत्पन्न होने वाली बाह्य दिखाई देने वाली रोशनी की चमक का स्तर घट जाता है।

(iv) पेप्टीकरण - यह एक जीवाणु या अन्य कारकों के अंदर पेप्टाइड अधिकृत एंजाइमों की मदद से ऊर्जा उत्पन्न करने की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में, पेप्टाइड बंधों के अलग होने से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा का उपयोग किया जाता है।

Explanation:

(i) अपोहन - अपोहन एक वेदांत दर्शन की महत्वपूर्ण सिद्धांत है जिसके अनुसार वस्तुएं अपने स्वरूप से अलग होती हैं। यह दर्शन ब्रह्म की सत्यता को सिद्ध करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस दर्शन के अनुसार, जगत और जीव सब कुछ ब्रह्म के अंतर्गत होते हैं और जीव को ब्रह्म का अनुभव ध्यान द्वारा ही होता है।

(ii) स्वर्ण-संख्या - स्वर्ण-संख्या एक प्राचीन भारतीय गणितीय शास्त्र है जिसमें संख्याओं को स्वर्णों के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। स्वर्ण-संख्या शास्त्र के अनुसार, इसमें 9 स्वर्ण होते हैं, जिन्हें संख्याओं के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। यह एक बहुत ही प्राचीन और महत्वपूर्ण गणितीय शास्त्र है जिसका उपयोग भारतीय गणितीय विज्ञान में किया जाता है।

(iii) टिण्डल प्रभाव - टिण्डल प्रभाव एक तरल पदार्थ में देखे जाने वाले चमक के अनुभव को बताता है।यह एक तरल पदार्थ के अंदर अलग-अलग द्रवित तत्वों के समान नहीं मिलने की वजह से होता है। इस प्रभाव के कारण, अंदर उत्पन्न होने वाली बाह्य दिखाई देने वाली रोशनी की चमक का स्तर घट जाता है।

(iv) पेप्टीकरण - यह एक जीवाणु या अन्य कारकों के अंदर पेप्टाइड अधिकृत एंजाइमों की मदद से ऊर्जा उत्पन्न करने की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में, पेप्टाइड बंधों के अलग होने से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा का उपयोग किया जाता है।

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