Hindi, asked by aryanbaliyan07, 8 months ago

ख) निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
1. हरि आप हरो जन री भीर।।
द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।
भगत कारण रूप नरहरि, धर्यो आप सरीर।
2. बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर।
दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर।
3. चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।​

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Answered by shishir303
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काव्य सौंदर्य ► यह पंक्तियां मीराबाई के पद से ली गई हैं इन पदों के माध्यम से मीराबाई ने भक्ति की चरम सीमा का प्रदर्शन किया है। वह श्रीकृष्ण की भक्ति में पूरी तरह समर्पित हैं और श्री कृष्ण भक्ति में ही रम गई हैं। वह कृष्ण भक्ति में भाव-विह्वलित होकर श्री कृष्ण का आह्वान कर रही हैं। चूँकि श्री कृष्ण भगवान विष्णु का ही अवतार है, इसलिये वे उन्होंने भगवान विष्णु की भक्तवत्सल्यता का वर्णन करते हुए श्री हरि अर्थात भगवान विष्णु का आह्वान कर रही हैं। भक्ति की पराकाष्ठा पर जाकर वह श्री कृष्ण की चाकर अर्थात सेवक बनने तक को तैयार हैं।

हरि आप हरो जन री भीर।।

द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।

भगत कारण रूप नरहरि, धर्यो आप सरीर।

भावार्थ ► मीराबाई कहती है कि जिस तरह श्री हरि अर्थात भगवान विष्णु अपने भक्तजनों की पीड़ा हरते हैं, वैसे वो मेरी भी पीड़ा हर लें। जैसे उन्होंने श्रीकृष्ण रूप में द्रौपदी के संकट में उसकी रक्षा की और उसको चीरहरण के समय उसको अनंत साड़ी प्रदान करके द्रौपदी की लाज बचाई। जैसे प्रह्लाद का जीवन जब संकट में पड़ गया और उसका पिता हिरण्यकश्यप प्रह्लाद पर अत्याचार कर रहा था। तब श्री विष्णु ने ने नरसिंह का अवतार लेकर प्रह्लाद की रक्षा की वैसे ही आप मेरी भी रक्षा करो।

बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर।

दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर।

भावार्थ ►  जब ऐरावत हाथी को मगरमच्छ ने अपने जबड़ों में जकड़ लिया तो श्री विष्णु ने मगरमच्छ को मारकर ऐरावत के प्राणों की रक्षा की। उसी तरह हे प्रभु! आप संकट में मेरी भी रक्षा करो।

चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।

भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।​

भावार्थ ► मीराबाई श्रीकृष्ण की भक्ति में रम कर उनकी चाकरी करने तक को तैयार हैं। वह श्री कृष्ण का आह्वान करती हुई कहती हैं कि हे प्रभु मुझे अपने यहाँ चाकर अर्थात सेवक रख लो। इससे मेरे अनेक फायदे होंगे। रोज आपके दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा और आपका सुमिरन करने का जो रोज अवसर मिलेगा वही मेरा वेतन होगा। इस तरह मुझे भाव और भाक्ति की जागीर मिल जायेगी

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