ख) : निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पद्यांश के आधार पर दीजिए l (5) m कुछ भी बन, बस कायर मत बन ठोकर मार, पटक मत माथा तेरी राह रोकते पाहन कुछ भी बन, बस कायर मत बन युद्ध देही कहे जब पामर, दे न दुहाई पीठ फेर कर या तो जीत प्रीति के बल पर या तेरा पथ चूमे तस्कर प्रति हिंसा भी दुर्बलता है पर कायरता अधिक अपावन कुछ भी बन, बस कायर मत बन ले-देकर जीना, क्या जीना? कब तक गम के आँसू पीना? मानवता ने तुझको सींचा बहा युगों तक खून-पसीना। कुछ न करेगा? किया करेगा रे मनुष्य! बस कातर क्रंदन? कुछ भी बन, बस कायर मत बन तेरी रक्षा का ना मोल है पर तेरा मानव अमोल है यह मिटता है वह बनता है यही सत्य की सही मोल है। अर्पण कर सर्वस्व मनुज को, कर न दुष्ट को आत्म- कुछ भी बन, बस कायर मत बन ( 1) कवि क्या करने की प्रेरणा दे रहा है? ( 2) कवि के अनुसार किस तरह का जीवन व्यर्थ है? ( 3) सत्य की सही मोल कवि ने किसे कहा है? ( 4) कभी अपना सर्वस्व किसे देने के लिए कह रहा है? (5) कवि मनुष्य के को किस के बल पर जीतने के लिए कह रहा है?
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1. कायर न बनने की।।।।।।।।।।।
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