Hindi, asked by singhasubham73, 8 months ago

खान-पान के मामले में आप किस
संस्कृति कं पक्षपाती है-----भारतीय
अथवा पाश्चात्य ? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिर
please give fast​

Answers

Answered by HBJNN
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Answer:

वर्तमान में दिन-प्रतिदिन आधुनिकता बढ़ती जा रही है। और इसका विशेष प्रभाव पड़ रहा है हमारे खान-पान, रहन-सहन और पहनावे पर। ... कुछ बड़े-बुजुर्ग आधुनिकता को जल्दी से अपना लेते हैं; रूढ़िवादी विचारों को त्यागने या उनमें बदलाव लाने में वे संकोच नहीं करते।बहुत समय तक भारत में शाकाहारी लोगों की संख्या अधिक थी‚ शराब का चलन हिन्दू‚ सिख और मुस्लिम सभी में निषिद्ध ही था। भोजन में हमेशा दाल‚ चावल‚ रोटी सब्जी‚ दही या छाछ और सलाद एक आम व्यक्ति को भी सहज सुलभ था। सब्जियाँ सस्ती थीं और मौसमी फलों के भाव आम जन की पहुँच में थे। और गाँवों में तो खेत की पैदावार हो या मक्खन निकाली छाछ हमेशा आस–पास में बाँटी जाती थी। नाश्ते में नमक अजवाईन के परांठे पर मक्खन की डली रख कर खाने वाले मेहनती भारतीय नागरिक या ग्रामीण उच्च रक्तचाप के शिकार न थे। मिठाईयाँ भी तब बस त्यौहारों पर बनतीं वह भी गृहणियों के नपेतुले हाथों।पाश्चात्य सभ्यता के अंधानुकरण से धूम्रपान‚ शराब और मांसाहार का चलन बढ़ गया। जो कि भारतीय मौसम के बहुत अनुकूल न था। भारत की जलवायु के अनुसार हम पाश्चात्य जीवन शैली को अपना कर अपना हित नहीं कर रहे। ठण्डे प्रदेशों में शराब जहाँ टॉनिक का काम करती है वहीं भारत में इसके विपरीत असर देखे गए हैं।

शाकाहारी लोग मांसाहारी लोगों की अपेक्षा अधिक सुरक्षित हैं। इस तरह से वे सैचुरेटेड फैट कम मात्रा में उपभोग में लाते हैं। मांसाहार में मछली एक अच्छा विकल्प है। इसके अलावा वे सब्जी‚ फलों के जरिये रक्तचाप कम करने में सहायक पोटेशियम की आवश्यक मात्रा ले लेते हैं। सुबह नाश्ते में केले और पपीता खाना फायदेमंद साबित हो सकता है। शराब‚ चाय‚ कॉफी‚ तम्बाकू को अलविदा कहना या कम मात्रा में लेना ही उपयोगी रहेगा।दिशानिर्देशों में शराब के दो छोटे पैग से ज्यादा कतई नहीं पीना चाहिये। धूम्रपान तो एकदम छोड़ देना ही फायदेमंद है और इसके फायदे आप स्वयं एक साल में ही देख सकते हैं। तो बस आज ही धूम्रपान छोड़ दें और मुझसे एक साल बाद इस विषय पर बात करें। उच्च रक्तचाप से निजात के लिये योग‚ ध्यान और प्राकृतिक चिकित्सा का भी काफी महत्व साबित हो चुका है।

इन दिशानिर्देशों की उपयोगिता महज स्वास्थ्य ही नहीं मरीजों की आर्थिक स्थिति के लिये भी है। इससे भारतीय चिकित्सकों को उपलब्ध व उचित दवाओं की जानकारी भी मिलती है। और स्थान व रोगी की स्थिति के अनुसार दवा की मात्रा का भी उचित निर्धारण किया जा सकता है। एक औसत भारतीय के लिये आयातित दवाएं मँहगी साबित हो सकती हैं‚ जबकि इन दिशानिर्देशों के अनुसार अन्य भारतीय दवाएं भी उतनी ही उपयोगी हैं।

उच्चरक्तचाप की नियमित जाँच एक निश्चित अंतराल में अवश्य कराते रहें। याद रखें स्चस्थ जीवन की कुंजी का रहस्य आपकी स्वस्थ जीवनशैली में ही छिपा है।

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