ख) 'नारी हानि बिसेष छति नाहीं' कहकर तुलसीदास ने जो
सामाजिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है, उस पर अपने विचार
लिखिए।
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Answer: hi
Explanation:
tulsidas ji yeh kehna chahte hain ki nari abla nahi sabla hai . Nari ka Is duniya mein ana apradh nahi hain. har manushya ko nari ka adar vah samman karna ana chahiye kyunki nari chahe to kuch bhi kar sakti hai.
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इस वचन में तुलसीदास ने नारी के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है l
- यह प्रश्न कवितावली खंड के लक्ष्मण-मूच्छ और राम का विलाप भाग से लिया गया है l इसके रचयिता तुलसीदास जी है I
- इस पंक्ति का अर्थ यह है कि स्त्री की हानि होने पर कोई विशेष हानि नहीं होती है I
- तुलसीदास जी ने कहां है कि राम ने अपनी पत्नी की मृत्यु की तुलना में लक्ष्मण के मूर्छित होने को अधिक महत्व दिया है। उन्हें इस बात का मलाल है कि उन्होंने एक औरत के लिए अपने भाई को खो दिया, यही समाज में सबसे बड़ा कलंक है। यदि कोई स्त्री खो जाती है, तो उसके खोने में कोई बड़ी हानि नहीं है। महिलाओं से अधिक भाई होते हैं जिनके कारण व्यक्ति समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करता है, यदि उसे खो दिया जाए तो जीवन भर के लिए माथे पर कलंक लग जाता है और उसका जीवन निरर्थक बन जाता है l
- इस पंक्ति के माध्यम से तुलसीदास जी ने रूढ़िवादी प्रथा का खंडन किया है l
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