"खूनी रविबार से क्या अभिप्राय है
खूनी रविवार, 22 जनवरी, 1905 को रूस की जार सेना ने शांतिपूर्ण मजदूरों तथा उनके बीबी-बच्चों के एक जुलूस पर गोलियाँ बरसाई, जिसके कारण हजारों लोगों की जान गईं। इस दिन चूँकि रविवार था, इसलिए यह खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है।
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खूनी रविवार, 22 जनवरी, 1905 को रूस की जार सेना ने शांतिपूर्ण मजदूरों तथा उनके बीबी-बच्चों के एक जुलूस पर गोलियाँ बरसाई, जिसके कारण हजारों लोगों की जान गईं। इस दिन चूँकि रविवार था, इसलिए यह खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है।
खूनी रविवार के संदर्भ में नीचे विवरण दिया गया है।
•1905 में रूस और जापान एक-दूसरे के विरुद्ध युद्ध कर रहें थे, तब रूस एशिया के एक छोटे से देश जापान से युद्ध हार गयी ।
• जब रूस युद्ध हार गया तो युद्ध में मिली हार से रुसी जनता अपने आप को अपमानित महसूस करने लगी जिसके कारण रुसी जनता ने क्रांति आन्दोलन शुरू कर दिया ।
• रुसी जनता 9 जनवरी, 1905 ई. को प्रदर्शन करते हुए 'सेंट पिट्सबर्ग' में स्थित महल की तरफ जा रही थी, तब जार के सिपाहियों ने इन सभी प्रदर्शनकारियों पर गोलियों की बौछार शुरू कर दी । इन गोलियों की वर्षा से हजारों निहत्थे प्रदर्शनकारी मारे गए ।
• इस घटना को लोग खूनी रविवार इसलिए कहते हैं क्योंकि यह घटना रविवार के दिन हुई थी इसलिए इसे खूनी रविवार के नाम से भी याद किया जाता है।