खानपान की नयी संस्कृति में हमें राष्ट्रीय एकता के लिए नए बीज भी मिल सकते हैं। बीज भली
भांति तभी अंकुरित होंगे जब हम खानपान से जुड़ी हुई दूसरी चीजों की ओर भी ध्यान देंगे। मसलन हम उस
बोली-बानी, भाषा-भूषा आदि को किसी-न-किसी रूप में ज्यादा जानेंगे, जो किसी खानपान -विशेष से
जुड़ी हुई है।
5- पाठ व लेखक का नाम लिखिए।
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खानपान की बदलती तसवीर
- Prayag Shukla
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