खानपान की संस्कृति अब कैसे हो गई है
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खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का तात्पर्य सभी प्रदेशों के खान-पान के मिश्रित रूप से है। यहाँ पर लेखक यह कहना चाहते हैं कि आज एक ही घर में हमें कई प्रान्तों के खाने देखने के लिए मिल जाते हैं। लोगों ने उद्योग धंधों, नौकरियों व तबादलों व अपनी पसंद के आधार पर एक दूसरे प्रांत की खाने की चीज़ों को अपने भोज्य पदार्थों में शामिल किया है।
मेरा घर कोलकत्ता में है। मैं बंगाली परिवार से हूँ। हमारा मुख्य भोजन चावल और मछली है, लेकिन हमारे घर में चावल और मछली के अलावा दक्षिण भारतीय व्यंजन इडली, सांभर, डोसा आदि और पाश्चात्य भोजन बर्गर व नूडल्स भी पसंद किए जाते हैं। यहाँ तक कि हम बाज़ार से न लाकर इन्हें अपने ही घर में बनाते हैं।
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