(ख) प्रकृति के नियम के विरुद्ध बरतने पर क्या होता है?
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प्रकृति के इस नियम के विरुद्ध बरतने का मनुष्य जितना अधिक प्रयत्न करता है, उतना ही अधिक वह दुखी होता है। हममें देने की हिम्मत नहीं है, प्रकृति की यह उदात्त मांग पूरी करने के लिए हम तैयार नहीं हैं और यही है हमारे दुख का कारण।
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dukh ka sagar Tut padta h sb kuch Baha le jata h jivan kasto se bhr jata h
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