खीर की घटना से लेखक क्या सूचना को विवश हो गया?
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खीरों के रसास्वादन की कल्पना से नवाब साहब के मुँह में पानी आ रहा था। लखनवी अंदाज पाठ में लेखक सोच रहा था कि वैसे तो रईस बनने का ढोंग कर रहा है और लोगों से नजरे बचाकर खीर खा रहा है। नवाब साहब लेट गए और लेखक ने, यह सोचते हुए कि यही है खानदानी शिष्टता, स्वच्छता और कोमलता, अपना सिर उसके सम्मान में झुका लिया।
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