Hindi, asked by Bear1234, 3 months ago

खीरा सिर ते काटिए, मलियत नोन लगाय। रहिमन करुए मुखन कौ, चहियत यही सजाय।।

रूठे सुजन मनाइए, जो रूठें सौ बार। रहिमन फिरि-फिरि पोहिए, टूटे मुक्ताहार।।

तरुवर फल नहि खात है, सरवर पियहि न पान। कहि रहिम परकाज हित, संपति संचहि सुजान।।

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय। तोरे से फिर ना जुरै, जुरै गाँठ परि जाए।।
इन दोहों का मतलब क्या है?

Answers

Answered by ydhall20stuaudacin
1

Answer:

खीरे का कडुवापन दूर करने के लिए उसके ऊपरी सिरे को काटने के बाद नमक लगा कर घिसा जाता है. रहीम कहते हैं कि कड़ुवे मुंह वाले के लिए – कटु वचन बोलने वाले के लिए यही सजा ठीक है.

Answered by lavairis504qjio
3

Answer:

1 खीरे को सिर से काटना चाहिए और उस पर नमक लगाना चाहिए। यदि किसी के मुंह से कटु वाणी निकले तो उसे भी यही सजा होनी चाहिए

2 रहीम जी कहते हैं कि जब भी कोई हमारा अपना प्रियजन हमसे रूठ जाए तो उसे मना लेना चाहिए, भले ही हमें उसे सौ बार ही क्यों ना मनाना पड़े ,प्रियजन को अवश्य ही मना लेना चाहिए।

3 कविवर रहीम कहते हैं कि जिसत तर पेड़ कभी स्वयं अपने फल नहीं खाते और तालाब कभी अपना पानी नहीं पीते उसी तरह सज्जनलोग दूसरे के हित के लिये संपत्ति का संचय करते हैं।

4 रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नही होता. यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है, तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है.

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