खीरा सिर ते काटिए, मलियत नमक लगाया
कडा
रहिमन कसा मुर्खन को, चहिअत इहे सजाय।।
كما
ना
उपटून
छिमा बड़न को चाहिए, छोटन को उतपात।
का रहिमन हरि को घट्यो, जो भृगु मारी लात।।
मुसीबत
रहिमन विपदा हूँ भली, जो थोरे दिन होय।
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय।।
-रहीम
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खीरा सिर ते काटि के, मलियत लौंन लगाय. रहिमन करुए मुखन को, चाहिए यही सजाय. » अर्थ : खीरे का कडुवापन दूर करने के लिए उसके ऊपरी सिरे को काटने के बाद नमक लगा कर घिसा जाता है. रहीम कहते हैं कि कड़ुवे मुंह वाले के लिए – कटु वचन बोलने वाले के लिए यही सजा ठीक है.
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