ख. साहब के बँगले से पहली बार घर वापस जाते हुए फ़तहचंद क्या सोच रहे थे? ग. फ़तहचंद ने अपने आत्मसम्मान की रक्षा किस प्रकार की?
Answers
संस्कृति जी , अपने आत्म सम्मान की रक्षा के लिए ये प्रयास किए जा सकते हैं:
सबसे पहले अपने आप का सम्मान कीजिए, यह इसकी कुंजी है।
स्वीकार करना सीखें, सबसे पहले हम जैसे भी हैं खुद को स्वीकार करे।
अपनी गलतियां पहचाने और उससे सीखें और इससे भी बेहतर होगा कि यदि दूसरो की गलतियों से सीख पाएं क्युकी अगर खुद कि गलतियों से ही सीखेंगे तो उम्र कम पड़ जाएगी।
दूसरो की अप्रूवल की प्रतीक्षा ना करें , अपनी बुद्धि और अक्ल से खुद पर भरोसा रखें और अगर कहीं गलत हैं तो हिचकिचाएं नहीं उसे एक्सेप्ट करें और सुधार लें ।
कभी भी ये ना सोचें की मुझे किसी और जैसा बनना है, यहां सब अलग ही सही है क्युकी यदि ऊपर वाले को सबको एक सा बनाना होता तो एक ही इंसान बनाता, इतना मैटेरियल खर्च करने की क्या जरूरत थी
इसलिए मस्त रहिए, बाधाएं आएंगी जरूर आएंगी मगर खुदको कभी टूटने मत देना और किसी और को भी हर्ट ना करें, जीवन है जीते जाएं।