(ख) "संस्कार में बड़े भाई और पुरोहित जैसे लगने वाले", यह पंक्ति लेखक ने फादर कामिल बुल्के के लिए क्यों
कहीं? 'मानवीय करुणा की दिव्य' चमक पाठ के आधार पर बताइए।
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लेखक फादर कामिल बुल्के के व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित थे। वे जब भी लेखक के परिवार में आते थे, तो एक बड़े भाई की भांति व्यवहार करते थे। वे किसी भी सामाजिक कार्य में पुरोहित ( पंडित ) की भांति लगते थे। इसी कारण लेखक ने फादर कामिल बुल्के के लिए " संस्कार में बड़े भाई पुरोहित जैसे लगने वाले " पंक्ति कहीं
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