(ख) सत्पुरुषाः सुखदुःखे किं मन्यन्ते ?
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व्यक्ति वही व्यक्ति है जो सुख और दुख को समान भाव से ग्रहण करे। उन्हाेंने कहा मनुष्य को हर कर्म भगवान को समर्पित करना चाहिए। ... उन्हाेंने कहा भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में अर्जुन से कहा है मनुष्य को कर्म करना चाहिए और फल की चिंता कभी नहीं करना चाहिए। उन्होेंने कहा सुख-दुख में एक समान रहने वाला व्यक्ति ही श्रेष्ठ है।
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