Hindi, asked by dinabandhudash204, 4 days ago

'खुशियों का खज़ाना' कैसे बढ़ता है? इस पाठ के लिए एक अन्य शीर्षक दीजिए।​

Answers

Answered by MrPerfectShahid
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Answer:

खज़ाना है खुशियों का

Explanation:

अक्सर बुजुर्ग कहते हैं कि पैसे से चीजें खरीदी जा सकती हैं, खुशी नहीं। आप इस बात से सहमत होते हुए भी इसे पूरी तरह स्वीकार नहीं कर पाते। वास्तव में, खुशी आपके मन की अवस्था है, जिसमें आप पूर्णता का अनुभव करते हैं। मनोवैज्ञानिक पॉल सैमुअल के अनुसार, थ्री-डी यानी डिजायर- इच्छा, डिसीजन- निर्णय और डु- काम, में ही आपको खुशी मिलती है। आप इस फिक्र में मत रहिए कि कौन क्या करता या सोचता है। खुद तय करें कि आपका मन क्या करना या पाना चाहता है, फिर निर्णय लीजिए और अपनी मंजिल की ओर कदम बढ़ाइए। मशहूर लेखक डेल कारनेगी कहते हैं कि खुशियां ढूंढ़ने से नहीं मिलतीं, खुद को पा लेने के एहसास से मिलती हैं। दरअसल, खुद की तलाश, यानी अपनी शख्सियत का आकलन कर पाना मुश्किल काम है। यह एक ऐसा एहसास है, जो आपको बताता है कि आप अपनी प्राथमिकता, इच्छा, आकांक्षा के अनुरूप काम करें बजाय इसके कि दूसरों के जीवन में ताक-झांक करें या दूसरों की नकल करें। जब आप अपना विश्लेषण करते हैं और किसी निर्णय पर पहुंच जाते हैं, तब आप आत्मसंतुष्ट और आत्मशांति के परिवेश में निवास करने लगते हैं। आपको एहसास होता है कि रुपये गिनने वाले बैंकरों की बजाय फूल-पौधे सींचने वाला माली कहीं ज्यादा खुश नजर आता है।

इस बारे में अमेरिकी मनोवैज्ञानिक सैम वुड की मानें, तो हम पूरी जिंदगी वह दिखाने की कोशिश में लगा देते हैं, जो हम वास्तव में होते नहीं। इसी कारण हम अंदर से खुश नहीं हो पाते। सच तो यह है कि खुद को महसूस करने में जो मजा है, जो आनंद है, वह और कहीं नहीं मिल पाता। तभी तो अभिनेता चार्ली चैपलिन जब तक जर्मनी के कॉमेडियन की नकल करते रहे, उन्हें सराहना नहीं मिली। जब उन्होंने अपनी स्टाइल में चलना और अभिनय करना शुरू किया, वह रातोंरात कॉमेडी के बादशाह बन गए।

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