खेती बारी करते, परिवार रखते भी, बाल गोविंद भगत साधु थे - साधु की सब परिभाषाओं में खरे उतरने वाले। कबीर को साहब मानते थे उन्हीं के गीतों को गाते ।उन्हीं के आदेशों पर चलते हैं ,कभी झूठ नहीं बोलते, खराब व्यवहार करते। किसी से भी दो टूक बात करने में संकोच नहीं करते ना किसी से खामखा झगड़ा मोल लेते थे। किसी की चीज नहीं छूते ना बिना पूछे व्यवहार में लाते ।इस नियम को कभी-कभी इतनी बारीकी तक ले जाते कि लोगों को कुतूहल होता ।कभी वह दूसरे के खेत में शौच के लिए भी नहीं बैठते थे लेकिन उनकी सब चीज साहब की थी ।जो कुछ खेत में पैदा होता सिर पर लादकर पहले उसे साहब के दरबार में ले जाते ।उनके घर से चार कोस दूर था एक कबीरपंथी मठ।अनाज दरबार में भेंट रूप में रख लिया जाता। प्रसाद रूप में जो उन्हें मिलता उसे घर लाते और उसी से गुजर चलाते ।
लेखक ने बाल गोविंद भगत को साधु क्यों कहा है?
i वह साधु की तरह दिखते थे।
ii यह मोह माया से दूर थे
iii वह सच्चे साधु जैसा आचार व्यवहार करते थे।
iv वे किसी से झगड़ा नहीं करते थे।
बाल गोविंद भगत का कौन सा कार्य व्यवहार लोगों के आश्चर्य का विषय था ?
i जीवन के सिद्धांतों और आदर्शों का गहराई से अपने आचरण पालन करना ।
ii गीत गाते रहना ।
iii किसी से झगड़ा ना करना ।
iv अपना काम स्वयं करना।
बालगोबिन भगत कबीर के आदर्शों पर चलते थे क्योंकि –
i कबीर भगवान का रूप थे।
ii वह कबीर की विचारधारा से प्रभावित थे।
iii कबीर उनके गांव के मुखिया थे।
iv कबीर उनके मित्र थे।
बाल गोविंद भगत के खेत में जो कुछ पैदा होता उसे वे सर्वप्रथम किस भेंट कर देते थे?
i गरीबों को
ii मंदिर में
iii घर में
iv कबीरपंथी मठ में
वह गृहस्थस्थ थे लेकिन उनकी सब चीज साहब की थी यहां साहब से क्या आशय है ?
i गुरु
ii मुखिया
iii कबीर
iv भगवान
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1)3)wuha sosse sadhu jesa acaer bebohaer korte the.
2)4)apna kam sowong korna.
3)1)kobir vogoban ka rup the.
4)4)kobirponthi math me.
5)2)mukhia.
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