खेतों में सब्जियों पर बाहर कैसी है इसका आंसर हिंदी में दीजिए
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झांसी। इस बार सब्जी उत्पादकों की कमर टूट गई है। फूल गोभी, पत्ता गोभी, बैंगन, भिंडी, खीरा खेतों में ही सूख रहा है। सब्जी मंडियों तक जाने वाले रास्ते बंद होने के कारण किसानों ने सब्जियां खेतों में ही छोड़ दी हैं जिससे कहीं वह सड़ गईं हैं तो सूख रही हैं। झांसी से सब्जियां आगरा, बांदा, महोबा, ग्वालियर और जबलपुर तक जाती थीं लेकिन अब वाहन न मिल पाने के कारण सब्जियों की सप्लाई दूसरे जिलों को नहीं हो रही है। व्यापारी भी गांव तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। शनिवार को जब अमर उजाला ने सब्जी उत्पादक किसानों के सीधे खेतों पर जाकर फसल का हाल जाना तो कई जगह किसानों ने फूल गोभी को खेतों से तोड़ा ही नहीं। लॉकडाउन खुलने के इंतजार में गोभी सूख गई।
सब्जी उत्पादक किसान बर्बाद हो गया है। बरुआसागर निवासी मृदुला तिवारी ने फूल गोभी का खेत दिखाते हुए कहा कि सब्जी मंडी तक जाने के लिए कोई वाहन ही नहीं मिला तो गोभी खेत से तोड़ी ही नहीं गई लिहाजा सूख गई। पत्ता गोभी भी बेकार हो गई है। दस दिन और यही हालात रहे तो सारी सब्जियां बेकार हो जाएंगी। यहां से हम फुटेरा गांव में पहुंचे। इस गांव में ही 500 किसान हैं जो सब्जी की खेती करते हैं। कमलेश ने बताया कि दो दिन पहले गांव के तीन किसान बैंगन लेकर किसी तरह झांसी की सब्जी मंडी पहुंच गए थे। वहां खरीददार आए तो पुलिस ने लाठियां भांजनी शुरू कर दीं। बैंगन जितना घर से लेकर गए उतना ही वापस आ गया। एक किलो भी नहीं बिका। लालाराम भी 5 बीघा में सब्जी की खेती कर रहे हैं। उन्होंने अपने खेत में हरी मिर्च, बैंगन और पत्ता गोभी लगा रखी है। लेकिन अब मंडी तक जाने के रास्ते बंद हैं लिहाजा सब्जी खेत से निकाल ही नहीं रहे। इसके बाद बाद हम पड़ोसी जिला निवाड़ी (मध्यप्रदेश) के गांव हीरापुर पहुंचे। यहां भी तकरीबन 120 किसान सब्जी की खेती कर रहे हैं। निवाड़ी से भी कई जिलों को सब्जी जाती है। विपिन कुमार का कहना था कि वैसे कहते हैं कि सब्जी पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है। हम सब्जी लेकर निकले तो पुलिस वालों ने गाड़ी रोक ली और वापस कर दी। आसपास के गांवों में सस्ते में सब्जी बेचनी पड़ी। 25 किलो बैंगन लेकर गए थे जिसे 120 रुपये में बेचकर आ गए।
यूपी और मध्यप्रदेश के कई जिलों तक जाती हैं सब्जियां
झांसी। झांसी में सब्जी की खेती भी बड़े पैमाने पर होती है। किसानों का कहना है कि यहां से सब्जी आगरा, अलीगढ़, महोबा, बांदा, कानपुर, ग्वालियर, जबलपुर तक जाती हैं। किसान वाहनों से सब्जियां लेकर पहुंचते हैं। लेकिन अब लॉकडाउन के कारण सब्जियां बाहर नहीं जा पा रही हैं। जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। स्थिति यह है कि किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है। रूपकिशोर, होशियार सिंह, कुलवंत ने बताया कि कर्ज पानी करके किसी तरह से सब्जियां पैदा की थीं लेकिन अब सब बेकार हो गया है। बाहर की मंडियों तक जाने की बात तो छोड़िए झांसी की मंडी तक भी नहीं पहुंच पा रहे हैं।
पहले से ही कर्ज में डूबा है किसान
झांसी। बुंदेलखंड का किसान पहले से ही टूटा हुआ है। अकेले झांसी जिले में ही डेढ़ लाख किसान कर्ज में डूबा है। यह संख्या तो उन किसानों की है जिन्होंने बैंकों से ऋण लिया है जबकि सहकारी समितियों से ऋण लेने वालों की संख्या भी काफी है। साहूकारों के कर्ज में भी किसान डूबे हुए हैं। जितेंद्र कुमार कहते हैं कि सोचा था कि सब्जियों के अच्छे दाम मिलेंगे तो कर्ज चुकता कर देंगे लेकिन इस बार तो लागत तक
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