खूटी और टोपी से लेख का क्या आशय है
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संजय की कहानी “टोपी” एक लोक कथा है। इस कहानी के द्वारा लेखक ने सामाजिक समस्याओं को उजागर करने का प्रयास किया है। यह कहानी शासक वर्ग से जनता के सम्बन्धों की समीक्षा करती है। लेखक ने इस कहानी में एक नन्हीं गौरैया के दृढ़ निश्चय और प्रयासों का वर्णन किया है और लेखक के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति नन्ही गौरैया से प्रेरित हो सकता है और अपने जीवन को सफल और अर्थ-पूर्ण बना सकता है। इसमें लेखक ने राजा और उसके मंत्रियों का जनता के ऊपर दबाव को बहुत ही अच्छे तरीके से दिखाया है। एक छोटी गौरैया भी राजा का सच को सभी जनता के सामने ला सकती, यह दिखाया गया है। लेखक ने यह समझाने का प्रयास भी किया है कि सबको उसके काम के बदले उचित मेहनताना मिले, पूरी मजदूरी मिले तो किसी को भी अच्छा काम करने में ख़ुशी मिलेगी और कोई भी अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ ख़ुशी-ख़ुशी करेगा।
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खूटी और टोपी से लेख का आशय किसी भी विषय पर अपने मनोभाव व्यक्त करना है ।
- लेखक समझाने का अर्थ है कि खूंटी तो टोपी टांगने का साधन है।
- लेखक ने टोपी का उदाहरण मनोभाव व्यक्त करने के लिए दिया है।
- वास्तव में लेखक यह कहना चाहते है कि यदि मन में भाव है, विचार है तो किसी भी विषय पर लेख लिखा जा सकता है।
- वास्तविक महत्व टोपी का होता खूंटी का नहीं। टोपी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- लेखक यह भी कहना चाहते है कि जो भी जितनी मेहनत करता है उसे उतना ही पारिश्रमिक भी मिलना चाहिए। यदि मेहनताना मिलेगा तो किसी को काम करने में खुशी भी होगी। अपना सही पारिश्रमिक लेना किसी मा भी अधिकार है।
#SPJ3