खेती वालों के लाभ और हानियां बताते हुए किसानों के विरोध का कारण बताएं
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पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसान इन दिनों दिल्ली में केंद्र सरकार के नए कृषि क़ानून का विरोध कर रहे हैं. इसके लिए दिल्ली की सीमाओं पर हज़ारों की संख्या में किसान जमा हुए हैं और वे लगातार धरने पर बैठे हुए हैं. इस बीच बुधवार को इन किसानों ने केंद्र सरकार के साथ बातचीत भी की लेकिन किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. ये किसान नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.किसान बोले, महीने भर का राशन लेकर आए हैं
लेकिन किसानों के प्रदर्शन को लेकर देश भर के दूसरे राज्यों के किसान क्या सोच रहे हैं, वहां क्या स्थिति है, हमने इसका पता लगाने की कोशिश की.
● कृषि बिल का विरोध सिर्फ़ पंजाब-हरियाणा में ही क्यों, बिहार-यूपी में क्यों नहीं
बिहारः अनाज की ख़रीद पैक्स के माध्यम से करती है सरकारपटना से सीटू तिवारी
बिहार जहां 70 फ़ीसद आबादी खेती पर निर्भर है वहां नए कृषि क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन बहुत कम दिख रहे हैं. हालांकि ऐसा नहीं है कि राज्य के किसान दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के ख़िलाफ़ हैं.
मुज़फ़्फ़रपुर के बोचहां ब्लॉक के चौमुख गांव के किसान विश्व आनंद पांच एकड़ में गेहूँ, धान और मक्के की खेती करते हैं.