Hindi, asked by at622075, 7 months ago

खेती वारी से
वारी से जुडे़
भगत अपनी किस चारित्रिक विशेषताए
के कारण
व्यस्त वालगविन
साधु कहलात
।​

Answers

Answered by gopalbhatia463
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Answer:

सायन/हाथरस। गुलाब की खेती करने वाले किसानों के चेहरे फिलहाल मुरझाए हुए हैं। पिछले साल की अपेक्षा न तो पैदा गुलाब की खपत पर्याप्त हो रही है और न ही उसकी गुणवत्ता ठीक है। ऐसे में किसान इस साल गुलाब को कम कीमत पर बेचने को मजबूर हो गए हैं। हसायन और आसपास के गांवों में गुलाब की अच्छी खेती होती है। हसायन में करीब डेढ़ सौ कारखाने हैं, जिनमें गुलाबजल, गुलाब रूह और इत्र आदि का उत्पादन होता है। यहां ज्यादातर इत्र व्यापारी कन्नौज से आकर कच्चा माल तैयार करते हैं और वह कच्चे माल को यहां से कन्नौज ले जाते हैं। वहीं इसकी पैकिंग आदि करते हैं। साल में इस क्षेत्र में गुलाब की फसल दो बार होती है। एक मार्च और अप्रैल के महीने में और दूसरी अगस्त और सितंबर के महीने में। प्रदेश में जब से गुटके के उत्पादन पर रोक लगी है गुलाब उत्पादों की खपत भी कम हो गई है। गुटके में खुशबू के लिए गुलाब की रूह का काफी प्रयोग होता था। खपत में कमी आने का मुख्य कारण यही माना जा रहा है। इस बार स्थिति यह है कि पिछले साल गुलाब की फसल 3,500 से 4,000 रुपये प्रति मन यानि 40 किलो से शुरू हुई थी, जबकि इस बार यह कीमत 2200 से 2500 रुपये के मध्य है। इस बार गुलाब की क्वालिटी पहले से कम बेहतर है और गुणवत्ता में सुधार न आने की वजह बरसात होना मानी जा रही है। जानकारों की मानें तो पिछले साल एक मन यानि 40 किलो गुलाब में 7 से 8 ग्राम रूह निकल जाती थी, जबकि इस बार केवल 3 से 4 ग्राम रूह निकल पा रही है। सबसे खेदजनक पहलू तो यह है कि किसानों की मजबूरी का फायदा भी बाहर से आने वाले व्यापारी उठाते हैं। किसान जब गुलाब को मंडी में लाते हैं तो वह महज आठ घंटे तक ही ताजा रह पाता है। इस अवधि में ही किसान को अपना गुलाब बेचना होता है और इसका लाभ व्यापारी उठाते हैं। ऐसे में वह उससे कम कीमत में गुलाब बेच देते हैं। यहां सालों से व्यापारी चिलर प्लांट लगाने की मांग शासन-प्रशासन से कर रहे हैं, जिसमें 36 घंटे तक गुलाब ताजा रह सके, लेकिन उस पर आज तक कोई ध्यान नहीं दिया गया।

कैसे बने बात

सरकार अपनी तरफ से किसानों को जानकारी दे कि उन्हें किस क्वालिटी का गुलाब पैदा करना चाहिए। इसके लिए जरूरी है सौंदर्य और दवा कंपनियों से जानाकारी ली जाए कि उन्हें कैसी गुणवत्ता चाहिए। उसी के आधार पर गुलाब तैयार हों तो गुटके पर पाबंदी से घटे मार्केट को फिर पाया जा सकता है।

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