(ख) “देखा मैंने उसे इलाहाबाद के पथ पर ,
वह तोड़ती पत्थर।
कोई न छाया दार
पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार
श्याम तन, भर बंधा यौवन
नत नयन, प्रिय-कर्म-रत-मन ।
i. कवि ने महिला को कहाँ देखा?
ii. महिला क्या कर रही थी?
iii. महिला की शारीरिक दशा क्या थी?
iv. महिला की क्या लाचारी थी?
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- इलाहाबाद के पथ पर देखा।2.पेड़ की छाँव मे बैठी थी।3.कर बना यौवन व श्याम तन था।4.वह पत्थर तोड़ रही थी।
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